قتل طالب جامعي سوداني في مدينة القضارف شرقي البلاد، خلال
احتجاجات بدأت أمس الأربعاء في مدينة عطبرة في شمال شرق السودان واتسع
نطاقها إلى العاصمة الخرطوم ومدن أخرى.
حظر النائب العام لمحكمة أمن الدولة الأردنية اليوم الأربعاء، بعد التحقيق مع المتهم الرئيس في قضية "مصانع الدخان" عوني مطيع، نشر أي
أخبار أو معلومات أو صور أو تعليقات حول القضية.
وذكرت وكالة الأنباء الأردنية "بترا"، أن قرار حظر النشر يشمل كل وسائل الإعلام ووسائل التواصل الاجتماعي، وذلك حرصا على سير عملية
التحقيق بما يضمن عدم ضياع الأدلة أو التأثير عليها.
ويرتقب
أن يوارى الثرى في مركز مكتبة بوش الرئاسية في كوليدج ستيشن في تكساس إلى جانب زوجته التي توفيت في أبريل وابنته روبن التي توفيّت بسبب سرطان الدم
في سن الثالثة.فوجئ
المسافرون على متن إحدى طائرات الخطوط الجوية البريطانية المتجهة من مطار
هيثرو بلندن إلى سنغافورة براكب يتهجم عليهم ما أثار حالة من الذعر.
बॉलीवुड डेस्क. सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन 11 अक्टूबर
को 76 साल के हो गए। फिल्म इंडस्ट्री में अमिताभ बच्चन एक ऐसी शख्सियत हैं,
जिनको लेकर इंडस्ट्री के अंदर और बाहर फैन्स की लंबी कतार है। बिग बी का
जादू सिर्फ उन्हीं तक सीमित नहीं है, बल्कि हम कह सकते हैं कि बच्चन परिवार
बॉलीवुड की सबसे ज्यादा पॉपुलर फैमिलीज में से एक है। वैसे तो बिग बी
हमेशा सोशल मीडिया पर अपनी फोटो शेयर करते हैं, लेकिन आज हम उनकी कुछ ऐसी
फोटोज दिखाने जा रहे हैं, जिन्हें पहले ही शायद देखी हों।
अमिताभ बच्चन 76 साल के होने वाले हैं। 11 अक्टूबर, 1942 को इलाहाबाद
में जन्मे बिग बी की बतौर एक्टर पहली फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' 1969 में
रिलीज हुई थी, हालांकि उन्हें असली पहचान प्रकाश मेहरा की फिल्म 'जंजीर'
(1973) से मिली। 76 साल की उम्र में भी अमिताभ बॉलीवुड में टिके हैं। छोटे
परदे से लेकर बड़े परदे तक उनका सिक्का चलता है। इन दिनों टीवी पर उनका शो
'कौन बनेगा करोड़पति' खूब देखा जा रहा है। बिग बी के शौक की बात करें तो वे घडियों और कारों के बेहद शौकीन हैं। उनके कार कलेक्शन में रोल्स रॉयस
फैंटम, बीएमडब्ल्यू, मर्सडीज, बीएमडब्ल्यू और लेक्सस जैसी लग्जरी कारें
शामिल हैं। नई दिल्ली. भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की
संपत्ति पर बैंकों का पहला हक है। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट अपीलेट
ट्रिब्यूनल ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इस संबंध में आदेश
दिए। ट्रिब्यूनल ने ईडी से कहा कि वह माल्या की संपत्ति को लेकर अगली
सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखे।
माल्या केस में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहे ईडी ने माल्या की 8,000
करोड़ रुपए (वैल्यू) की संपत्ति अटैच कर रखी है। बारह बैंकों ने इसके खिलाफ
ट्रिब्यूनल में अपील की थी। अपीलेट ट्रिब्यूनल इस पर 26 नवंबर को आखिरी फैसला देगा।
ट्रिब्यूनल ने बुधवार को कहा कि धोखाधड़ी के शिकार 12 बैंक माल्या और
उसकी कंपनियों के खिलाफ ऋण वूसली प्राधिकरण से पहले ही आदेश ले चुके हैं।
साथ ही कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट का मकसद यही है कि
अपराधियों को सजा मिले, पीड़ितों को नहीं।
अपीलेट ट्रिब्यूनल का मानना है कि माल्या के खिलाफ ट्रायल पूरी होने में
कई साल लग सकते हैं। लोन धोखाधड़ी के पीड़ित होने के नाते बैंकों को
माल्या की संपत्तियां बेचकर कर्ज की वसूली करने का अधिकार है। उधर ईडी ने कहा कि ट्रिब्यूनल के आदेश को कोई मतलब नहीं। माल्या की जो
संपत्ति उसके कब्जे में है उसे ट्रायल पूरी होने तक नहीं बेचा जा सकता।
इससे पहले भी ट्रिब्यूनल ने माल्या की अटैच संपत्ति का कुछ हिस्सा रिलीज
करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी।
जिन 12 बैंकों ने ट्रिब्यूनल में अपील की उनके माल्या पर 6,203 करोड़
रुपए बकाया हैं। एसबीआई समेत 17 बैंकों के कंसोर्शियम ने माल्या को लोन
दिया था। मार्च 2016 में माल्या लंदन भाग गया।
माल्या के भारत प्रत्यर्पण के लिए यूके की अदालत में मामला चल रहा है।
10 दिसंबर को इस पर फैसला आएगा। भारत में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अदालत में
माल्या के खिलाफ मामला चल रहा है।
हाल ही में एक रिसर्च आई थी। इसकी खबर थी
कि शिशु इन दिनों देर से बोलना सीख पा रहे हैं क्योंकि उनके माता-पिता उनसे
बात नहीं करते। वे रात-दिन फेसबुक, इंटरनेट और मोबाइल में उलझे रहते हैं।
तकनीक ने जहां एक ओर मनुष्य के विकास और उसके आगे बढ़ने में भूमिका निभाई
है वहीं वह बहुत बार कठिनाइयां भी पैदा कर रही है।
ब्लू व्हेल के जाल से जब एक चौदह साल के बच्चे को पुलिस ने बचाया था तो
उसने भी यही शिकायत की थी कि उसके माता-पिता के पास उसके लिए जरा-सा भी समय
नहीं है। दिन भर वे दफ्तर में रहते हैं। घर आते हैं तो अपना कम्प्यूटर या मोबाइल लेकर बैठे रहते हैं। वह कुछ पूछता भी है तो या तो उसे डांटकर चुप
करा दिया जाता है या वे जवाब ही नहीं देते। एक तो मध्य वर्ग के वे
माता-पिता जो रोजगारशुदा हैं, उन्हें इन दिनों 24×7 के हिसाब से काम करना
पड़ता है। दफ्तर का जो काम अधूरा रह गया, वह काम घर में भी चला आता है। ऐसे
में अगर शिशु को वे टाइम नहीं दे पा रहे हैं तो इसमें क्या आश्चर्य। नौकरी
को बनाए और बचाए रखने के लिए जैसे चौबीस घंटे भी इन दिनों कम पड़ने लगे
हैं। ऐसे में बच्चों से बातें कब करें।
लेकिन हम सब जानते हैं कि छोटे से बच्चे से बात करना कितना आनंददायक अनुभव
होता है। इसके अलावा जब आप बच्चे से बातें करते हैं, आपके होंठ जिस तरह से
हिलते हैं, जिस तरह की ध्वनियां निकलती हैं, बच्चा उनकी ही नकल करता है।
जैसे कि तोते को बोलना सिखाने के लिए उसके सामने बार-बार शब्दों को दोहराना
पड़ता है, शिशु की स्थिति भी लगभग वैसी ही होती है। उदाहरण के तौर पर अगर
आप नवजात शिशु को जीभ दिखाएं तो वह पलटकर जीभ दिखाता है यानी कि वह सब कुछ
जानता-समझता है और जैसा देखता-सुनता है वैसी ही नकल करने की कोशिश करता है।
पहले संयुक्त परिवारों में अगर माता–पिता नहीं तो गोद में उठाकर परिवार का कोई भी सदस्य दादा, दादी, चाचा, चाची, बुआ, ताई या कोई और भी बच्चों को गोद
में उठाकर बेशुमार बातचीत किया करते थे और बच्चों को बातें सुनने की इतनी
आदत पड़ जाती थी कि अगर उनसे बातें न की जाएं तो वे रोते थे। ब्रज प्रदेश
में मजाक में कहा जाता था कि देखो बातें न करने के कारण यह कैसा रो रहा है।
कितना बतकुट हो गया है। परिवार के सदस्यों की बातचीत सुन-सुनकर बच्चे बहुत
जल्दी बोलने लगते थे लेकिन अब एकल परिवारों में जहां बच्चे या तो आयाओं के
भरोसे हैं या डे केयर सेंटर के, वहां उनसे बातचीत कौन करे।
अमेरिका में रहने वाली एक लड़की ने एक बार दिलचस्प बात बताई जो ऊपर छपी
रिसर्च की बातों को भी साबित करती है। उसके बेटे का जन्म हुआ तो उसके
माता-पिता जाने वाले थे। मगर उन्हें वीजा नहीं मिला। इस कारण से बच्चा
माता-पिता के साथ परिवार में तो रहता था, मगर दिन भर पालने में पड़ा रहता
था। उन दिनों मां नौकरी नहीं करती थी। वह दिनभर काम में लगी रहती और पिता
दफ्तर चले जाते। ऐसे में बच्चे को सिवाय खिलौनों के और कोई सहारा नहीं था।
इस कारण यह बच्चा बहुत देर से बोलना सीखा। कुछ साल बाद इस बच्चे की बहन का जन्म हुआ। तब तक यह परिवार अमेरिका से स्विट्ज़रलैंड में आ बसा था। यहां
बच्ची के जन्म के बाद उसके नाना-नानी आए। वे तीन महीने तक साथ रहे। उनके
जाने के बाद दादा-दादी आ पहुंचे। वे भी तीन महीने रहे। इस तरह छह महीने तक इस बच्ची को कभी तेल लगाते तो कभी बोतल से दूध पिलाते लगातार वे बातें करते
रहते। नहलाते वक्त भी वे बातें जारी रहतीं। बातें तभी रुकतीं जब बच्ची सो
जाती। इसका परिणाम यह हुआ कि बच्ची सात-आठ महीने में न केवल बोलने लगी
बल्कि खड़ी होने की कोशिश भी करने लगी।
हमारे घर-परिवारों में पुराने जमाने से लोग इस बात को जानते हैं कि बच्चे को अगर बोलना सिखाना है तो उससे बातें करना कितना जरूरी है। अरसे से ये
बातें कही भी जा रही हैं कि एकल परिवारों के बच्चे अकेलेपन का शिकार हैं
क्योंकि उनसे बातें करने वाला कोई नहीं, उनकी सुनने वाला कोई नहीं। अब शिशु
भी समय की इस कमी का शिकार हो रहे हैं।
ऐसे में ये सोचना पड़ता है कि क्या किया जाए। घर चलाना है, महंगाई से
निपटना है, भविष्य के लिए कुछ जोड़-जंगोड़ करनी है तो माता-पिता को नौकरी
करनी ही होगी। पैसा होगा तभी बच्चे भी पल सकते है। हां यह जरूर हो सकता है कि घर में आकर परिवार के लोग अपने बच्चों को कुछ समय दें क्योंकि सोशल
मीडिया या इंटरनेट कहीं जाने वाला नहीं है। वह तो बना ही रहेगा और न केवल
बना रहेगा, बढ़ता रहेगा मगर आपके बच्चे का बचपन दोबारा नहीं लौटेगा।
क्षमा शर्मा
अमिताभ बच्चन ने एक बार कहा था कि उन्हें
इस बात का बहुत दुख है कि वे अपने बच्चों को बड़ा होते नहीं देख सके। उनकी
किलकारियों को महसूस नहीं कर सके क्योंकि जब वे बड़े हो रहे थे तो वे
फिल्मों में बहुत व्यस्त थे। इस पछतावे से बचने का यही तरीका है कि बच्चे
के बचपन को महसूस किया जाए। उसकी तोतली बोली में आनंद लिया जाए। गोस्वामी तुलसीदास ने भी लिखा है कि बच्चे की तोतली बातों से माता-पिता बहुत आनंद
पाते हैं।
ऐसा भी होता है कि अपना बचपन लौटता दिखता है। यदि बड़े बूढ़े अपने नाती-पोतों की बातें सुनते हैं तो अकसर उनके माता-पिता की याद कर कहते हैं
कि अरे यह तो वैसे ही बोलता है जैसे इसका बाप छुटपन में बोलता था या कि
इसकी मां भी ऐसे ही बोलती थी। बच्चों की मासूम हरकतों का दुनिया में कोई
सानी नहीं। उनकी मीठी बोली कहीं और सुनाई नहीं दे सकती। क्यों न उनकी मीठी
बोली को रिकॉर्ड करके रख लिया जाए, जिसे वर्षों बाद सुनकर उनके बचपन का दोबारा सुख लिया जा सके।
अमरीकी रक्षामंत्री जेम्स मैटिस और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो गुरुवार को भारत दौरे पर पहुंच रहे हैं. वो
भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बात
करेंगे.
बीबीसी संवाददाता विकास पांडेय बता रहे हैं कि यह वार्ता दोनों देशों के लिए क्यों अहम है.
इस वार्ता को मीडिया में 2+2 डायलॉग कहा जा रहा है. अमरीका और भारत की यह बातचीत दोनों देशों के बीच हालिया तनाव के बाद हो रही है.
पहले
ये मुलाकात अप्रैल में होनी तय हुई थी लेकिन तभी अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड
ट्रंप ने तत्कालीन विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन को पद से हटा दिया.
इसके
बाद जुलाई में एक बार फिर यह बातचीत स्थगित हो गई और भारतीय विदेश
मंत्रालय ने इसके पीछे 'नज़रअंदाज' न की जा सकने वाली वजहें बताईं. लेकिन
इसके बाद से काफ़ी कुछ बदल चुका है.मरीका ने भारत और रूस के बीच होने वाले रक्षा सौदे को लेकर चेतावनी दी है. इसके अलावा भारत को ईरान से तेल का आयात करने को लेकर भी आगाह किया है.
फ़िलहाल अमरीका ने रूस और ईरान दोनों पर ही पाबंदियां लगा रखी हैं.
दूसरी
तरफ़, ट्रंप ने जब प्रधानमंत्री मोदी के उच्चारण के लहजे का मज़ाक उड़ाया
तो वो भारतीय राजनायिकों को पसंद नहीं आया. और भारतीय राजनयिक ट्रंप के
अप्रत्याशित रवैये की वजह से थोड़े चौकन्ने भी रहते हैं.
जॉर्ज बुश
और बराक ओबामा के शासनकाल में भी भारत और अमरीका के बीच सौहार्दपूर्ण
रिश्ते रहे हैं. हालांकि ट्रंप शासनकाल में दोनों देशों के रिश्तों के बारे
में ऐसा कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी.
'कंट्रोल रिस्क्स कंसल्टेंसी' में असोसिएट डायरेक्टर
(भारत और दक्षिण एशिया) प्रत्युष राव का मानना है कि भारत को बातचीत में
'सतर्क आशावाद' वाला रवैया अपनाने की ज़रूरत है.
प्रत्युष ने बीबीसी
से बातचीत में कहा, "भारत ने ओबामा और बुश प्रशासन में अमरीका की तरफ़ से
कई सुविधाओं का लाभ उठाया है. ख़ास तौर से सिविल न्यूक्लियर डील और ईरान के
साथ भारत को तेल के व्यापार की छूट. लेकिन अब भारत के सामने असली चुनौती
होगी. चुनौती ये होगी कि वो व्यापारिक नीतियों में लगातार बदलाव लाने वाले
ट्रंप प्रशासन के साथ ख़ुद को कैसे समायोजित करता है."
ये भी सच है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अमरीका और भारत के सम्बन्धों को
सुधारने के लिए काफ़ी कोशिशें की और वक़्त लगाया है. मोदी ने कई मौकों पर
कहा था कि ओबामा उनके दोस्त हैं और उन्हें ओबामा के साथ काम करना पसंद है
लेकिन अभी दुनिया के राजनातिक आयाम बदल गए हैं."
अमरीकी प्रशासन ने
अपने हालिया फ़ैसलों से दुनिया को ये दिखा दिया है कि वो अप्रत्याशित
फ़ैसले ले सकते हैं. फिर चाहे वो उत्तर कोरिया के साथ हाथ मिलाना हो, 2015
के पेरिस जलवायु समझौते से ख़ुद को अलग करना हो या ईरान के साथ परमाणु करार
से क़दम पीछे खींचना हो.
प्रत्युष राव कहते हैं कि भारतीय राजनयिक अमरीका से बात करते वक़्त इन सभी चौंकाने वाले फ़ैसलों को ज़हन में रखेंगे.
रक्षा से सम्बन्धित हथियार और उपकरण खरीदने वाला भारत दुनिया का सबसे
बड़ा देश है और रूस उसका सबसे बड़ा निर्यातक. सैन्य उपकरण या हथियार, इन
सबका बड़ा हिस्सा भारत को रूस से मिलता है.
अमरीका इस समीकरण को
बदलना चाहता है. पिछले पांच साल में अमरीका का भारत को निर्यात पांच बार से
ज़्यादा मौकों पर बढ़ा है. ये बढ़ोतरी रक्षा उपकरणों और हथियारों के मामले
में हुई है. इससे अमरीका के भारत को निर्यात किए जाने वाले रक्षा सौदों
में 15 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है.
वहीं दूसरी तरफ़, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के आंकड़ों
के मुताबिक पिछले पांच सालों में रूस से भारत के निर्यात में 62-79 फ़ीसदी
की गिरावट आई है. हालांकि अतीत में झांका जाए तो अमरीका ने भारत के रूस से
हथियार ख़रीदने पर ज़्यादा आपत्ति नहीं जताई है.
प्रत्युष राव कहते
हैं, "अमरीका हमेशा से ये मानता रहा है कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में चीन का
मुकाबला करने के लिए भारत को सामरिक रूप से मज़बूत होने की ज़रूरत है.
इसके लिए भले ही भारत को रूस से हथियार क्यों न ख़रीदने पड़े." लेकिन ट्रंप
प्रशासन का रवैया इस मामले में पिछली अमरीकी सरकारों से अलग है.
अभी हाल ही में भारत को रूस से S-400 एयर डिफ़ेंस
मिसाइलें खरीदनी थीं और भारत को उम्मीद थी कि अमरीका इस डील को आगे बढ़ाने
की मंजूरी देगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
एक वरिष्ठ अमरीकी अधिकारी ने
कहा कि भारत को इस सौदे की छूट नहीं दी जा सकती. इसके साथ ही अमरीका ने
भारत के रूस की उन कंपनियों के साथ करार का विरोध किया जिन पर उसने
पाबंदियां लगा रखी हैं.
'एशियन एंड पैसिफ़िक सिक्योरिटी अफ़ेयर्स' के
असिस्टेंट सेक्रेटरी (डिफ़ेंस) रैंडल स्राइवर ने कहा, "मैं यहां बैठकर
आपको नहीं बता सकता कि भारत को छूट मिलेगी या नहीं. ये फ़ैसला अमरीकी
राष्ट्रपति का होगा."
वहीं भारतीय राजनायिकों ने इस बात के संकेत दिए
हैं कि भारत, रूस के साथ की गई डील से पीछे नहीं हटेगा क्योंकि ये भारत के
वायु रक्षा प्रणाली के लिए बहुत अहम है.
इसलिए ये हैरानी वाली बात नहीं है कि गुरुवार को होने वाली बैठक में यह मुद्दा एक अहम एजेंडे के तौर पर शामिल है.
इंडियन
काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफ़ेयर्स में वरिष्ठ विश्लेषक डॉक्टर श्रुति बैनर्जी
का मानना है कि दोनों देशों के नेता इसका हल ढूंढने की कोशिश करेंगे.
उन्होंने
कहा, "दोनों ही देश इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाएंगे. हालांकि दोनों के पास
इसका हल ढूंढने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. अमरीका और भारत के बीच
कुछ मुद्दों को लेकर असहमतियां और संशय ज़रूर हैं, लेकिन भरोसे की कमी
नहीं."
इस वार्ता से कुछ सकारात्मक नतीजों की उम्मीद की जा रही है.
दोनों
देश 'कम्यूनिकेशन्स कंपैटबिलटी एंड सिक्युरिटी अग्रीमंट' पर हस्ताक्षर के
लिए बातचीत आगे बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं. अगर इस डील पर बात बन गई तो
दोनों देशों के सेनाओं के बीच संवाद और समन्वय बेहतर हो जाएगा.मरीका साफ़ कह चुका है कि वो भारत के ईरान से कच्चा तेल आयात करने के
ख़िलाफ़ है. हालांकि भारत के लिए अमरीका की इस मांग को मानना मुश्किल हो सकता है. डॉक्टर बैनर्जी के मुताबिक भारत ईरान से तेल ख़रीदना बंद करना
अफ़ोर्ड नहीं कर सकता.
भारत ने ईरान के चाबहार में बंदरगाह बनाने के
लिए 50 करोड़ डॉलर से ज़्यादा का निवेश करने का वादा किया है. इस बंदरगाह
से भारत के लिए दूसरे एशियाई देशों तक पहुंचना आसान होगा जिससे भारत के
व्यापार में इजाफ़ा होगा.
डॉक्टर बैनर्जी कहती हैं, "ईरान भारत का
महत्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगी है. ईरान से तेल का आयात बंद करना उसे ख़फ़ा कर
सकता है. हां, ये हो सकता है कि भारत आयात किए जाने वाले तेल की मात्रा कम
कर दे लेकिन ये भी इस बात पर काफ़ी हद तक निर्भर करेगा कि अमरीका भारत के
इस फ़ैसले को कैसे देखता है."
अमरीका
और भारत अफ़गानिस्तान के साथ अपनी नीतियों को लेकर भी मतभेद रखते हैं, हाल
ही में अमरीका के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी का कहना था कि अमरीका तालिबान
के साथ सीधे बातचीत करने को तैयार है, वहीं भारत ऐसा करने से हमेशा हिचकता
रहा है.
डॉक्टर बैनर्जी कहती हैं, "भारत अफ़गानिस्तान को सबसे
ज़्यादा मदद देने वाले देशों में से है इसलिए ये वहां होने वाली शांति
प्रक्रिया में एक अहम भागीदार बनना चाहेगा. इसलिए भारत को यह पसंद नहीं
आएगा कि अमरीका उन समूहों से सीधी बातचीत करे जिनके पीछे पाकिस्तान का हाथ है.''
जहां तक व्यापार की बात है तो ये इस वार्ता का प्रमुख एजेंडा नहीं होगा. हालांकि कुछ ज़रूरी मुद्दों पर चर्चा हो सकती है.
अमरीका
ने इस साल भारत से आयातित स्टील और एल्युमीनियम के उत्पादों पर टैक्स बढ़ा
दिया था. इसके जवाब में भारत ने भी अमरीका के कई उत्पादों पर लगने वाला
आयात शुल्क बढ़ा दिया था.
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान एबी डिविलियर्स ने
माना है कि इंटरनेशनल क्रिकेट का दबाव कभी-कभी असहनीय हो जाता था और वे क्रिकेट से संन्यास लेकर राहत महसूस कर रहे हैं. मई में इंटरनेशनल क्रिकेट
से संन्यास की घोषणा करके सभी को हैरान करने वाले इस बेजोड़ बल्लेबाज ने
कहा कि उन्हें खेल की कमी नहीं खल रही और वह संन्यास के बाद के जीवन का
लुत्फ उठा रहे हैं. ‘इंडिपेंडेंट’ समाचार पत्र से बातचीत करते हुए
डिविलियर्स ने कहा, ‘कभी-कभी यह (दबाव) असहनीय हो जाता था- आपको जिस तरह के
दबाव का सामना करना पड़ता था, लगातार प्रदर्शन करना होता था. आप स्वयं,
प्रशंसक, देश और कोच आपके ऊपर दबाव बनाते हैं. यह काफी अधिक होता है और एक
क्रिकेटर के रूप में यह हमेशा आपके दिमाग में होता है.’
एबी डिविलियर्स ने लिया ऐसा खतरनाक कैच, विराट ने कहा- स्पाइडर मैन
इंटरनेशनल
क्रिकेट को अलविदा कहने के बावजूद डिविलियर्स अपनी आईपीएल टीम रॉयल
चैलेंजर्स बेंगलुरू (आरसीबी) की ओर से खेलना जारी रखेंगे. उन्होंने कहा,
‘मुझे पता है कि बड़े मैच में शतक जड़ने के अहसास की तुलना किसी चीज से
नहीं जी जा सकती. हजारों लोग आपके नाम के नारे लगा रहे होते हैं. लेकिन
ईमानदारी से कहूं तो निश्चित तौर पर मुझे इसकी कमी नहीं खलेगी. अब तक तो
नहीं. खेल से हटकर मैं काफी खुश हूं. कोई मलाल नहीं.’
यह पूछने पर कि क्या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास के बाद वह कुछ
राहत महसूस कर रहे हैं तो डिविलियर्स ने कहा, ‘बेहद. हां... मुझे पता है कि
सही जवाब संभवत: यह होता कि मुझे हमेशा खेल की कमी महसूस होगी.’अपने
इंटरनेशनल करियर के दौरान 114 टेस्ट में 22 शतक की मदद से 50 .66 की औसत से
8765 रन बनाने वाले डिविलियर्स ने कहा, ‘मेरा मानना है कि खिलाड़ी जो यह
कहते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का दबाव महसूस नहीं करते, वे सभी से
और खुद से झूठ बोल रहे हैं.’डिविलियर्स ने 228 वनडे इंटरनेशनल मैचों में भी
25 शतक की मदद से 53 .50 की औसत के साथ 9577 रन बनाए.
वर्ल्डकप 2018
में कोस्टारिका के खिलाफ पेनल्टी लेने के लिए किए गए नेमार के 'नाटक' के
बाद उनका वीडियो काफी वायरल हो गया था जिसके बाद नेमार को खेल भावना को
लेकर काफी आलोचनाएं झेलनी पड़ी थीं. समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को अपने एक प्रायोजक द्वारा जारी एक वीडियो में नेमार ने एक
हद तक माना कि विपक्ष से फाउल लेने के लिए उन्होंने अपनी प्रतिक्रियाओं को
बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया
उन्होंने कहा, "आपको लगता है कि मैंने बढ़ा-चढ़ा कर चीजें बताईं. कई बार
मैं ऐसा करता हूं लेकिन सच्चाई यह है कि मैं मैदान पर बहुत सहन करता हूं."
नेमार ने कहा, "आपको लगता है कि मैं मैदान पर जरूरत से ज्यादा गिर रहा
हूं. लेकिन सच्चाई यह है कि मैं गिरा नहीं था, मैं तो बिखर गया था. मुझे
आपकी आलोचना को मानने में काफी समय लगा. मुझे अपने आप को शीशे में देखने
में काफी समय लगा और, अब मैं एक नया इंसान बना गया हूं." ब्राजील की टीम
फीफा वर्ल्डकप के क्वार्टर फाइनल में बेल्जियम से 1-2 से हार कर बाहर हो
गई थी.
ब्राजील के स्टार फुटबॉलर नेमार
को वर्ल्डकप 2018 के दौरान विपक्षी टीम के खिलाफ फाउल हासिल करने के लिए
कथित तौर पर जबरन गिरने को लेकर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था. इस पर
प्रतिक्रिया देते हुए ब्राजील के इस फुटबॉल खिलाड़ी ने उन्होंने कहा है कि
रूस में हुए वर्ल्डकप में किए गए अपने व्यवहार की आलोचनाओं को वह स्वीकार
करते हैं. गौरतलब है कि वर्ल्डकप 2018
में कोस्टारिका के खिलाफ पेनल्टी लेने के लिए किए गए नेमार के 'नाटक' के
बाद उनका वीडियो काफी वायरल हो गया था जिसके बाद नेमार को खेल भावना को
लेकर काफी आलोचनाएं झेलनी पड़ी थीं. समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के
अनुसार, रविवार को अपने एक प्रायोजक द्वारा जारी एक वीडियो में नेमार ने एक
हद तक माना कि विपक्ष से फाउल लेने के लिए उन्होंने अपनी प्रतिक्रियाओं को
बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीकी सुरक्षा को बड़ा खतरा बताते हुये गृह मंत्रालय ने नये नियम जारी किये हैं. सभी राज्यों को भेजे गये अलर्ट के साथ ही कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी की विशेष सुरक्षा में तैनात एजेंसी की इजाजत के बिना अब मंत्री और अधिकारी भी उनके नजदीक नहीं जा सकेंगे. सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि सुरक्षा एजेंसियों की ओर से पीएम मोदी को सलाह दी गई है कि वह रोड शो के कार्यक्रम में कटौती करें. गौरतलब है कि पीएम मोदी ही 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से प्रचार की कमान संभालेंगे और वही मुख्य चेहरा हैं. जानकारी मिली है कि गृह मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों के डीजीपी को लिखे पत्र में पीएम मोदी के लिये किसी 'अज्ञात खतरे' की बात कही गई है. साथ ही कहा गया है कि किसी को भी पीएम मोदी के नजदीक न जाने दिया जाए, इसका कड़ाई से पालन करने की बात कही गई है. यहां तक कि पीएम मोदी की सुरक्षा में लगी एसपीजी भी अब मंत्रियों की भी तलाशी ले सकती है. वहीं पीएम मोदी जिस तरह आम जनता से मिलने के लिये लोगों के बीच चले जाते हैं इसको लेकर भी आशंका जाहिर की गई है. पीएम मोदी को रोड शो न करने की सलाह दी गई है. वहीं छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल में आने वाले चुनाव के दौरान पीएम मोदी की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की गई है. नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीकी सुरक्षा को बड़ा खतरा बताते हुये गृह मंत्रालय ने नये नियम जारी किये हैं. सभी राज्यों को भेजे गये अलर्ट के साथ ही कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी की विशेष सुरक्षा में तैनात एजेंसी की इजाजत के बिना अब मंत्री और अधिकारी भी उनके नजदीक नहीं जा सकेंगे. सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि सुरक्षा एजेंसियों की ओर से पीएम मोदी को सलाह दी गई है कि वह रोड शो के कार्यक्रम में कटौती करें. गौरतलब है कि पीएम मोदी ही 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से प्रचार की कमान संभालेंगे और वही मुख्य चेहरा हैं. नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीकी सुरक्षा को बड़ा खतरा बताते हुये गृह मंत्रालय ने नये नियम जारी किये हैं. सभी राज्यों को भेजे गये अलर्ट के साथ ही कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी की विशेष सुरक्षा में तैनात एजेंसी की इजाजत के बिना अब मंत्री और अधिकारी भी उनके नजदीक नहीं जा सकेंगे. सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि सुरक्षा एजेंसियों की ओर से पीएम मोदी को सलाह दी गई है कि वह रोड शो के कार्यक्रम में कटौती करें. गौरतलब है कि पीएम मोदी ही 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से प्रचार की कमान संभालेंगे और वही मुख्य चेहरा हैं.